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मुंबई, एक याचिका पर सुनाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों के निकाह को लेकर एक अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि कोई अधिनियम किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत कराने से नहीं रोकता है, इसलिए मुस्लिम पुरुष नगर निगम ऑफिस में एक से ज्यादा शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. दायर याचिका में मामला कुछ इस प्रकार था: मुंबई के एक व्यक्ति ने अल्जीरिया की एक महिला संग शादी की. यह उसकी तीसरी शादी थी. शादी के बाद पुरुष पंजीकरण के लिए निगम ऑफिस पहुँचा था. उसने अधिकारियों से विवाह प्रमाण पत्र का अनुरोध किया, जिसे अधिकारियों ने नकार दिया. उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनका आवेदन इसलिए खारिज कर दिया गया, क्योंकि पुरुष याचिकाकर्ता की यह तीसरी शादी है. मुस्लिम दम्पत्ति ने अपनी याचिका में संबंधित अधिकारियों को प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था. नगर निगम के अधिकारियों ने विवाह का पंजीकरण करने से मना कर दिया था. उनका कहना था कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत विवाह की परिभाषा में केवल एक ही विवाह को शामिल किया गया है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने प्राधिकरण के तर्क को गलत करार दिया.कोर्ट ने कहा, यह फैसला पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित है. विवाह अधिनियम में उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जो किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत कराने से रोकता हो. मुसलमानों के पर्सनल लॉ के तहत उन्हें चार विवाह करने का अधिकार है. यदि वह दलील को स्वीकार कर भी ले, तो इसका अर्थ यह होगा कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम, मुसलमानों के पर्सनल लॉ को नकारता है और / या उन्हें विस्थापित कर देता है. जबकि इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह संकेत मिले कि पर्सनल लॉ को इससे बाहर रखा गया है.
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