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मुंबई : बम्बई उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के इस बयान को सोमवार को स्वीकार कर लिया कि औरंगाबाद में सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) को आपूर्ति किये गये 19 में से 18 खराब वेंटिलेटर की मरम्मत कर दी गई है। उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति रवींद्र वी घुगे और न्यायमूर्ति भालचंद्र यू देबाद्वार ने हालांकि जीएमसीएच को निर्देश दिया कि वे कुछ वेंटिलेटर का स्टॉक तैयार रखें ताकि इस तरह की खराबी होने पर यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीजों के स्वास्थ्य को कोई खतरा पैदा नहीं हो। पीठ ने जीएमसीएच को केंद्र द्वारा आपूर्ति किए गए 37 शेष ऐसे वेंटिलेटरों की जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें अभी तक डिब्बों से नहीं निकाला गया था। पीठ ने कहा कि जो वेंटिलेटर खराब थे या ठीक से काम नहीं कर रहे थे, उन्हें अलग किया जा सकता है और मेडिकल कालेज अदालत को उनके बारे में सूचित कर सकता है। पीठ मराठवाड़ा तथा उत्तरी महाराष्ट्र के जिलों में संसाधनों के प्रबंधन और कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने से संबंधित एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही है। राज्य के वकील, मुख्य लोक अभियोजक डीआर काले ने पिछले महीने उच्च न्यायालय को बताया था कि केंद्र सरकार द्वारा 'पीएम केयर्स' निधि के तहत मराठवाड़ा क्षेत्र के सरकारी और निजी अस्पतालों को आपूर्ति किए गए 150 में से 113 वेंटिलेटर खराब पाए गए थे। काले ने बताया था कि इनमें से 56 वेंटिलेटर जीएमसीएच को दिए गए थे, और उनमें से 19 खराब पाए गए जबकि 37 की अब तक पैकिंग नहीं हटाई गई है। उच्च न्यायालय वेंटिलेटर के मुद्दे पर जनहित याचिका पर 21 जून को आगे सुनवाई करेगा।.
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