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मुंबई.
अँधेरी पूर्व के एमआयडीसी
क्षेत्र में जारी पुनर्वसन योजना में लगभग २० वर्षों से हो रहे भ्रष्टाचार
का खुलासा पिछले वर्ष सुर्खियाँ के कई अंकों में प्रमुखता से किया गया था. इसके
बावजूद कई स्थानीय राजनेता व जनप्रतिनिधि इस मामले पर चुप्पी ही साधे रहे और इस
भ्रष्टाचार से पीड़ित ‘बेघर’ भी सामने आने से डरते रहे. हालाँकि इस दौरान उद्धव
गुट की शिवसेना के विधायक अनिल परब ने इस मुद्दे को विधान परिषद में उठाया था, पर
उसके बाद भी राज्य सरकार की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई. यहाँ तक कि पुनर्वसन योजना के तहत बने २३९ फ्लैटों
में हुए घुसपैठ के मामले को भी कई वर्षों से खींचा जा रहा है. आज भी ये २३९ फ्लैट
अवैध कब्जे में हैं. कुछ महीने पहले एमआयडीसी के सीईओ विपिन शर्मा के
तबादले के बाद उनकी जगह आए नए सीईओ पी
वेलरासु भी
अधिकतर मंत्रालय के नाम पर अपने कार्यालय से नदारद ही पाए जाते हैं. इनकी
नियुक्ति के बाद भी एमआयडीसी की कार्यप्रणाली पहले की तरह ही सुस्त दिख रही है. इस
वर्ष जब इन सब घटनाक्रमों के बीच जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है,
तो खबर आई कि एमआयडीसी के भ्रष्टाचार से पीड़ित कुछ बेघर लोगों ने अँधेरी पूर्व में
एमआयडीसी के उद्योग सारथी कार्यालय के बाहर आमरण उपोषण पर बैठ गए हैं. यह
खबर मिलते ही सुर्खियाँ की टीम उनसे मिलने पहुँची और ठीक चुनाव से पहले उनके इस
अचानक आमरण उपोषण पर बैठने की वजह जाननी चाही. आमरण उपोषण पर बैठे लोगों ने
बताया कि कई घंटों के प्रदर्शन के बाद भी न उनसे एमआयडीसी कार्यालय का कोई बड़ा
अधिकारी मिलने आया, न ही स्थानीय एमआयडीसी पुलिस की ओर से उन्हें कोई आश्वासन मिला
है. इसके अलावा ना ही स्थानीय विधायक, सांसद, पूर्व नगरसेवक अथवा कोई
जनप्रतिनिधि उनकी पीड़ा सुनने आया.
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