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मुंबई : भाजपा नेता देवेन्द्र फड़णवीस ने शनिवार को आरोप लगाया कि शिवसेना शासित नगर निकाय कोविड-19 से हुई मौत के मामलों को कम करके बता रहा है और मुंबई में संक्रमण की दर से छेड़छाड़ कर रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा कि बृह्नमुंबई नगर निगम (बीएमसी) कुछ कोविड-19 रोगियों की मौत के अन्य कारण बताकर संक्रमण से हुई मृत्यु के मामलों को कम करके बता रहा है। फड़णवीस ने कहा, अन्य कारणों से हुई मौत की श्रेणी में कुछ विशिष्ट मामलों को रखा जाता है, जैसे कि कोविड-19 रोगी का आत्महत्या कर लेना, दुर्घटना में मृत्यु, हत्या, ब्रेन डेड घोषित किया जाना या रोगी के कैंसर की चौथी स्टेज में पहुंच जाना। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीएमसी कोविड-19 से हुई कुछ मौतों के संदिग्ध तरीके से इस श्रेणी में रख रही है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने महामारी की दूसरी लहर से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये हाल ही में बीएमसी की प्रशंसा की थी। फड़णवीस ने कहा कि बीएमसी ने फरवरी से अप्रैल के बीच 683 कोविड-19 रोगियों की मौत के मामलों को अन्य कारणों से हुई मौत की संदिग्ध श्रेणी में रखा। उन्होंने दावा किया कि यह इस अवधि के दौरान हुई कुल 1,773 मौतों का 39.4 प्रतिशत है। भाजपा नेता ने अपने पत्र में कहा, इसी अवधि के दौरान राज्य के शेष हिस्सों में कम से कम 15,958 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 199 यानी 0.7 प्रतिशत मौतों को अन्य कारणों से हुई मौत बताया गया। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष फड़णवीस ने आरोप लगाया कि बीएमसी रैपिड एंटीजन जांच पर अधिक निर्भर होकर संक्रमण की दर से भी छेड़छाड़ कर रही है। उन्होंने कहा, शहर में एक दिन में एक लाख आरटी-पीसीआर जांच करने की क्षमता है, लेकिन बीते 10 दिन का औसत 34,191 है। इनमें से 30 प्रतिशत रैपिड एंटीजन जांच की गईं। फडणवीस ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आरटी-पीसीआर क्षमता कम होने पर 30 प्रतिशत रैपिड-एंटीजेन जांच करने की सलाह देता है। वरना रैपिड-एंटीजेन जांचों की संख्या 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि रैपिड-एंटीजेन जांच की विश्वसनीयता 50 प्रतिशत होती है, लिहाजा ऐसी जांचों से भ्रम पैदा होता है।
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