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मुंबई: मुंबई की विलेपार्ले विधानसभा सीट का अपना एक अलग इतिहास रहा है, क्योंकि मुंबई की विलेपार्ले विधानसभा सीट नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र
का हिस्सा होने के कारण इस सीट पर किसी भी पार्टी का जनाधार कभी भी नहीं रहा. इस
सीट पर जहाँ तीन बार कांग्रेस का फिर जनता पार्टी, इसके बाद
फिर कांग्रेस, फिर निर्दलीय और फिर शिवसेना ने अपना कब्जा
जमाया; किन्तु वर्ष 2004 से वर्ष 2009
तक यह सीट फिर से कांग्रेस के कब्जे में रही. वर्ष 2014 में पहली बार यहाँ भाजपा का कमल खिला और इसके बाद से अब तक इस सीट पर
भाजपा का कब्जा बरकरार है। बता दें कि वर्ष 2014 में पराग अलवणी शिवसेना
उम्मीदवार शशिकांत पाटकर को हराकर पहली बार यहाँ से विधायक बने थे। इसके बाद वर्ष 2019 में भी एडवोकेट पराग अलवणी ने बड़ी जीत हासिल
की थी। पराग अलवणी ने पहले चुनाव में जहाँ भाजपा के बल पर 32 हजार मतों से जीत हासिल की थी, वहीं वर्ष 2019
में शिवसेना के समर्थन के चलते उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार
जयंतीभाई सिरोया को 58 हजार से अधिक वोटों से हराकर बड़ी
कामयाबी हासिल की थी। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि पराग अलवणी विलेपार्ले
विधानसभा से तीसरी बार विजय हासिल कर जीत की ‘हैट्रिक’ लगा सकते हैं. पराग अलवणी
लगातार तीसरी बार इस सीट से चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त भी नजर आ रहे हैं.
उन्होंने विलेपार्ले विधानसभा क्षेत्र में अपने प्रचार की शुरुआत भी कर दी है. लोग
उनके माथे पर तिलक लगाकर जगह-जगह उनका स्वागत कर रहे हैं. उनके चुनाव प्रचार में
लोगों की भीड़ विरोधियों के हौसले पस्त कर रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि
क्या पराग अलवणी आसानी से इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगा पाएँगे या नहीं.
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