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मुंबई,
विनोद यादव. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बड़े ही हर्षोल्लास और अस्थापुर्वक महर्षि वाल्मीकि
प्रकट दिवस को मनाया गया. इस अवसर पर महर्षि वाल्मीकि सेवा समिति (मरोल) द्वारा सत्संग
समारोह व भजन कीर्तन का आयोजन अंधेरी पूर्व मनवाना रोड स्थित मरोल टाकपाड़ा में किया
गया. इस आवसर पर प्रमुख मार्गदर्शक के तौर पर महंत सूरतसिंह व दलबीर सिंह वाल्मीकि
उपस्थित रहे. महर्षि वाल्मीकि सेवा समिति (मरोल) के अध्यक्ष श्री संदीप वाल्मीकि की
ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मुकेश बोत, रवीन्द्र चंदोलिया,
संदीप मल्लिक, सचिन बाल्मीकि, सुरेश राणा, अनिकेत झंजोटर, पाशा
राणा, पवई भजन मंडल, MIDC भजन मंडल,
आनंद नगर भजन मंडल और भारतनगर भजन मंडल सहित कुल 6 भजन मंडल और बड़ी संख्या
में वाल्मीकि समाज के लोग सहभागी होकर आस्थापूर्वक सत्संग समारोह व भजन कीर्तन कार्यक्रम
का लाभ लिया. इस कार्यक्रम के आयोजन को लेकर संदीप वाल्मीकि ने बताया कि ‘सनातन धर्म में ‘महर्षि वाल्मीकि’ को आदि कवि माना जाता है. क्योंकि उन्होंने ही पहली बार काव्य और महान हिंदू
महाकाव्य रामायण की रचना की थी. इस काव्य के जरिए महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्री राम
के पूरे जीवन को विस्तार रूप से व्याख्यान किया हैं. यही वजह है कि हिन्दू सनातनी महर्षि
वाल्मीकि के प्रकट दिवस को विशेष महत्व के रूप में मनाते है. और वाल्मीकि जयंती के
दिन सत्संग समारोह व भजन कीर्तन करने से श्री राम और माता सीता की विशेष कृपा मिलती
है। संपूर्ण परिवार पर प्रभु श्री राम और माता सीता का आशीर्वाद बना रहता है और घर
में सुख-समृद्धि, संपन्नता एवं शांति का वास होता है इसलिए हम
महर्षि वाल्मीकि जयंती को प्रकट दिवस के रूप में मनाते हैं।
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