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अपने खुफिया नेटवर्क
के लिए थे मशहूर
अब अपनी संस्था के जरिए कर रहे लोगों की सेवा
मुंबई, विनोद
यादव.
९० की दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ने वाले मशहूर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
प्रदीप शर्मा की कमी इन दिनों मुंबई पुलिस को अवश्य खल रही होगी. मुंबई में एक
बिश्नोई गैंग के एक के बाद एक हमले और उसकी पूर्व जानकारी प्राप्त करने में असफल
रही मुंबई पुलिस के हालात तो कम से कम इसी ओर इशारा कर रहे हैं. बता दें कि एक
वक्त मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, अरुण
गवली, मन्या सुर्वे, छोटा राजन,
अश्विन
नाईक, अमर नाईक, रवि
पुजारी और डी. के राव जैसे नामी गैंगस्टरों का राज हुआ करता था. इन नामी
गैंगस्टरों के गुर्गे पैसों के लिए हत्या, हफ्ता
उगाही, अपहरण जैसे कारनामों को अंजाम दिया करते
थे. इसके बाद दौर आया प्रदीप शर्मा जैसे जाँबाज पुलिस अधिकारियों का दौर,
जिन्होंने
इन अपराधियों से बेखौफ भिड़ंत की और उनको उन्हीं की भाषा में जवाब देना शुरू किया.
प्रदीप शर्मा ने अपना पहला एनकाउंटर 90 की दशक में किया था, जब
घाटकोपर इलाके में उन्होंने दाऊद इब्राहिम गैंग से जुड़े जावेद और रहीम को मुठभेड़
में मार गिराया था। बाद में वे मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में सीनियर
इंस्पेक्टर बने। करीब 25 साल के करियर में उनका नाम 113 अपराधियों के एनकाउंटर में
जुड़ा, जिनमें मुंबई अंडरवर्ल्ड से लेकर आतंकी
संगठन लश्कर-ए-तैयबा तक के आतंकियों का नाम शामिल रहा। वहीं वर्ष 2006 में छोटा
राजन गैंग के एक सदस्य रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के मुठभेड़ में प्रदीप
शर्मा का नाम विवादों में भी आ गया. यह आरोप लगा कि यह मुठभेड़ फर्जी थी. गौरतलब हो
कि पुलिस रिकार्ड के मुताबिक उस वक्त रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के ऊपर 12
हत्याओं
समेत कुल 19 मुकदमे दर्ज थे.
वर्ष २०१३ में मुंबई की सत्र न्यायालय ने प्रदीप शर्मा को रामनारायण गुप्ता उर्फ
लखन भैया के मुठभेड़ के मामले से बरी कर दिया. इसके बाद वर्ष 2017 में उन्हें
दोबारा पुलिस बल में शामिल किया गया. पुलिस विभाग में फिर से पदभार सँभालते ही
उन्होंने दाऊद के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार किया और देश भर की मीडिया में
सुर्खियों में छा गए. वर्ष २०१९ में उन्होंने पुलिस बल से स्वेच्छा से
सेवानिवृत्ति ले ली और राजनीति
में किस्मत आजमानी चाही. इसके बाद उनके जीवन में कई और
संघर्ष
आए. फिलहाल इन दिनों वे मुंबई के अँधेरी पूर्व क्षेत्र में अपनी सामाजिक
संस्था
पी. एस. फाउंडेशन के जरिए लोगों की सेवा कर रहे हैं. उनकी संस्था की ओर से
२
एम्बुलेंस क्लिनीक चलाए जा रहे हैं, जो
‘चलता-फिरता दवाखाना’ के नाम से जानी जाती
हैं. इनके जरिए रोजाना ही सैकड़ों मरीजों का मुफ्त इलाज उनके ही क्षेत्र में जाकर
किया
जाता है और साथ ही उन्हें मुफ्त दवाएँ भी प्रदान की जाती हैं. यहाँ प्रदीप
शर्मा
समाज सेवा में व्यस्त हुए, तो वहीं मुंबई
में फिर से बड़ी आपराधिक घटनाएँ होने लगीं. गौरतलब हो कि पुलिस विभाग में प्रदीप
शर्मा का ख़ुफ़िया नेटवर्क सबसे मजबूत माना जाता था. कई अपराधियों की आपराधिक मंशा
प्रदीप शर्मा अपने खबरियों के जरिए पहले ही पता कर लेते थे, जिससे
कई आपराधिक घटनाएँ होने से पहले ही अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़ जाते थे. अब जिस तरह
मुंबई में बड़ी आपराधिक घटनाएँ हो रही हैं, यह कहना
गलत नहीं होगा कि मुंबई पुलिस प्रदीप शर्मा की अनुपस्थिति में अब तक उनके जैसा
मुखबिरों का ख़ुफ़िया नेटवर्क नहीं बना पाई है. इस वजह से एक बार फिर मुंबई में
अपराध ने सिर उठाना शुरू कर दिया है. प्रदीप शर्मा के कई साहसिक कारनामों की वजह
से उन्हें अपना ‘हीरो’ मानने वाले अँधेरी विधानसभा के कई यूथ संगठनों का कहना है
कि यदि प्रदीप शर्मा वर्तमान में पुलिस विभाग में होते,
तो
गैंगस्टरों की हिम्मत नहीं होती मुंबई में अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने की. यह
कहना गलत नहीं होगा कि कहीं ना कहीं मुंबई पुलिस को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप
शर्मा के सेवाओं की कमी जरुर खल रही होगी. ऐसे में देखना है कि क्या महाराष्ट्र
सरकार गैंगस्टरों के हौसले तोड़ने के लिए किसी तरह पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप
शर्मा की सेवाएँ लेने की कोशिश करती है या मुंबई में और बड़ी आपराधिक घटनाएँ होने
का इंतजार करती है. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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