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मुंबई. महाराष्ट्र में चुनावों की घोषणा के
साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है. इन सबमें सबसे चर्चित सीट अंधेरी पूर्व विधानसभा
की मानी जा रही है. इस सीट से जहाँ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के करीबी पूर्व पुलिस अधिकारी
व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी स्वीकृति शर्मा शिवसेना के टिकट पर चुनाव
लड़ने के लिए जोर-शोर से तैयारी में जुटी हैं, तो वहीं उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र
फडणवीस के करीबी भाजपा नेता मुरजी पटेल भी इसी सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपनी दो दशकों
की राजनीति दाँव पर लगाए बैठे हैं. महायुति के इन दोनों ही दावेदारों के समर्थकों में
जमकर संग्राम देखा जा रहा है. अब चूँकि प्रदीप शर्मा ९० के दशक से ही अंडरवर्ल्ड को
काबू में करने के कारण एक चर्चित हस्ती रहे हैं, तो भाजपा नेता
मुरजी पटेल अंधेरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र में लगभग पिछले २० वर्षों से अपने बड़े सामाजिक
आयोजनों से अपनी राजनीति को फर्श से अर्श तक लेकर आए हैं. ऐसे में यह अटकलें खूब चल
रही हैं कि स्वीकृति शर्मा और मुरजी पटेल में से जिसे भी महायुति ने टिकट के लिए नजरंदाज
किया, वह इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ जाएगा. इस तरह यह कहा जा
सकता है कि महायुति के लिए इस सीट के टिकट का फैसला करना काफी मुश्किल नजर आ रहा है.
यदि महायुति के वरिष्ठ नेता प्रदीप शर्मा और मुरजी पटेल में कोई सामंजस्य नहीं बिठा
पाते हैं, तो इनकी आपसी टक्कर अंधेरी पूर्व विधानसभा में विपक्षी
गठबंधन महाविकास आघाडी की जीत की राह आसान कर देगी. दिल्ली में हुई महायुति के नेताओं
की बैठक से भी बार-बार यही बयान सामने आ रहे हैं कि जिसकी जीत की सम्भावना ज्यादा होगी,
टिकट उसे ही दिया जाएगा. हालाँकि टिकट पाने के लिए दोनों ही दावेदारों
के पास अपनी-अपनी मजबूत वजहें हैं. प्रदीप शर्मा व स्वीकृति शर्मा की संस्था पी. एस.
फाउंडेशन पिछले ७ वर्षों से अंधेरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लोगों की सेवा में कार्यरत
है और पिछले ७ महीनों से इनकी संस्था के ‘चलता-फिरता दवाखाना’
(एम्बुलेंस क्लीनिक) के जरिए क्षेत्र के लोगों का मुफ्त इलाज व उन्हें
मुफ्त दवाएँ मुहैया कराई जा रही हैं. स्वीकृति शर्मा अपनी महिला टीम के साथ इस तरह
के सामाजिक कार्यों के माध्यम से लगातार क्षेत्र के लोगों के संपर्क में बनी हुई हैं.
इसके अलावा प्रदीप शर्मा जैसी चर्चित हस्ती का ‘प्रभाव’
व ‘फैन फॉलोइंग’ भी इनके
लिए टिकट की दावेदारी मजबूत करती है. दूसरी ओर, मुरजी पटेल की
२० वर्षों की लम्बी राजनीति और क्षेत्र के लोगों में बनी पैठ उनका पलड़ा तो भारी कर
रही है; पर कुछ वार्डों में उन्हीं की पार्टी के नेता उन्हें
अप्रत्यक्ष रूप से ‘राजनीतिक नुकसान’ पहुँचाने
के लिए तैयार बैठे रहते हैं. चुनावी टिकट का फैसला तो कुछ दिनों में हो ही जाएगा,
पर फिलहाल राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले इस क्षेत्र के सभी नागरिक
यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि महायुति के इस अंदरूनी संग्राम में टिकट किसके पाले
आता है और कौन किसका खेल बिगाड़ता है?
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