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हुनमान भक्तों की आस्था पर चल
सकता है बिल्डर का हथौड़ा
तोड़ा जा सकता है अंधेरी पूर्व में कोयला कंपाउंड स्थित हनुमान
मंदिर
मुंबई: एक तरफ दादर के 80 वर्षों पुराने हनुमान मंदिर को मध्य रेलवे द्वारा नोटिस देकर तोड़ने के खिलाफ कई
सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के हस्तक्षेप के बाद जहाँ मध्य रेलवे ने यूटर्न ले लिया है, वहीं अँधेरी पूर्व के कोयला कंपाउंड स्थित कई दशकों पुराने
हनुमान मंदिर को बिल्डर द्वारा तोड़ने की साजिश की जा रही है. बता दें कि यहाँ समीप
ही ‘निर्माण’ बिल्डर द्वारा बनाई जा रही इमारत के लिए रास्ते की आवश्यकता है. इसे
पूरा करने के लिए बिल्डर ने कोयला कंपाउंड के कई व्यावसायिक गालों को खरीद कर उसे
तोड़ने का काम लगभग पूरा कर लिया है, ताकि बिल्डिंग में आने-जाने के लिए रास्ता बनाया
जा सके. बिल्डर ने जिन गालों को अपनी इस नई इमारत के रास्ते के लिए ख़रीदा है, उन्हीं
गालों के बगल में एक हनुमान मंदिर स्थापित. पिछले कई वर्षों से हनुमान भक्त हर
मंगलवार और शनिवार को इस मन्दिर के समीप श्रीराम चरित मानस का सुन्दरकाण्ड पाठ, हनुमान चालीसा
व भजन-कीर्तन करते आ रहे हैं. आरोप है कि अब बिल्डर अपने आर्थिक स्वार्थ के लिए यह
हनुमान मंदिर तोड़ना चाहता है, जिसे लेकर स्थानीय लोगों में जबरदस्त नाराजगी है.
बता दें कि निर्माण बिल्डर को यह जगह झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत बनी इमारत
के बदले मिली थी. यह भी बताया जाता है कि जिस जमीन पर ‘निर्माण’ बिल्डर इमारत का
निर्माण करवा रहा है, वह जमीन बच्चों को खेलने के लिए मैदान व गार्डन के तौर पर
आरक्षित है. उक्त जगह पर बिल्डर को कई वर्षों पहले ही बच्चों के लिए गार्डन बनाकर देना था, किन्तु एक दशक से अधिक समय बीत
चुका है और अब तक बिल्डर ने बच्चों के लिए गार्डन बनाकर नहीं दिया है. उलटे बिल्डर
केवल इमारत के निर्माण कार्य पर जोर दे रहा है. सूत्रों की मानें, तो बिल्डर ने इमारत के निर्माण कार्य के लिए आरक्षित जमीन पर उगे बड़े-बड़े
पेड़ पौधों को उखाड़कर इमारत का निर्माण करवा रहा है. इसके अलावा आरक्षित भूखंड पर
एक बहुत बड़ा कुआँ भी है. आरोप है कि बिल्डर इसे भी ढँककर उसका भी अस्तित्व मिटाना
चाहता है. ऐसे में देखना है कि दादर के वर्षों पुराने हनुमान मंदिर को बचाने के लिए जिस तरह कई
सामाजिक व राजनीतिक संगठन पहुँचे थे. क्या वही आस्था अँधेरी पूर्व में कोयला कंपाउंड स्थित कई वर्षों पुराने इस हनुमान
मंदिर के लिए ये संगठन दिखाएँगे या बिल्डर को लाभ पहुँचाने के लिए आस्था से समझौता
करेंगे? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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