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रिश्वत के आरोप में ४ महीने से चल रहे थे फरार
मुंबई: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को नगर निगम
के एक नामित अधिकारी मंदार तारी को दो करोड़ की रिश्वत माँगने के आरोप में
गिरफ्तार किया. एसीबी ने इस मामले में 7 अगस्त को मामला दर्ज कर दो लोगों को
गिरफ्तार किया था. दोनों को उस वक्त 75 लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था,
किन्तु मंदार अशोक तारी फरार हो गए थे. पुलिस ने उन्हें ४ महीने बाद 19 दिसंबर को
गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की. बता दें कि मंदार अशोक तारी अंधेरी पूर्व में
के/पूर्व महानगरपालिका में एक अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे। उनके दो निजी
सहयोगियों को शिकायतकर्ता से 75 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में 7 अगस्त को
गिरफ्तार किया गया था. शिकायतकर्ता डेवलपर की शिकायत के अनुसार, शिकायतकर्ता ने
चार मंजिला इमारत में दो अवैध मंजिलें बनाई हुई थीं। आरोप है कि तारी ने इन अवैध
मंजिलों पर कार्यवाही न करने के लिए 2 करोड़ की रिश्वत माँगी थी. बदले में तारी ने
कार्रवाई नहीं करने और भविष्य में भूखंड पर अवैध निर्माण को बचाने में मदद करने का
वादा किया था. चूँकि डेवलपर रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने इस
मामले में एसीबी से शिकायत की. एसीबी ने जाल बिछाया और अगस्त महीने में तारी के दो
सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया. तारी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी
दी थी. यह अर्जी हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई, जिसके बाद
एसीबी ने गुरुवार को तारी को गिरफ्तार कर लिया. गौरतलब हो कि इस मामले के बाद भी
के/पूर्व मनपा विभाग के सहायक आयुक्त मनीष वलंजू अपने मातहत मनपा अधिकारियों पर
शिकंजा नहीं कस रहे हैं. कई मनपा अधिकारी अभी भी ‘व्यावसायिक’ शिकायतकर्ताओं के
इशारे पर काम कर रहे हैं. इसकी झलक इन अधिकारियों के कक्ष के बाहर आए दिन लगने
वाली ‘व्यावसायिक’ शिकायतकर्ताओं के जमावड़े के रूप में देखी जा सकती है. आरोप है
कि पिछले दिनों वार्ड ७९ व ८० में की गई तोड़क कार्यवाही भी मनपा अधिकारियों ने इन्हीं
‘व्यावसायिक’ शिकायतकर्ताओं के ‘आदेश’ पर की थी, क्योंकि अवैध ढाँचे के ‘निर्माणकर्ताओं’ ने ‘व्यावसायिक’ शिकायतकर्ताओं
तक ‘रिश्वत’ की रकम नहीं पहुँचाई थी.
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